एक सवेरे के
अखबारमें लिखा था-
कल, दिन और रातमें जो हुआ
वही आप पढ़
रहें है मुझमें।
लेकिन मैं
तो
आप के भीतर
आनेवाला
ध्वंध को देख
रहा हूँ।
आप की कहानी
हो सकती है
एक सवेरे
मुझमें समाई।
मैं कल्पना
नहीं,
जो होगा वही
कहूँगा।
आप मानो या
न मानो,
तुम मुझे नहीं मैं तुम्हें
पढ़ रहा हूँ!
मैं काला हूँ
पर सत्य काला नहीं होता।
मैं आपमें उठनेवाला
ध्वंध को देख
रहा हूँ.....
- डॉ. विजय मनु
पटेल
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